पिपरांव चौकी प्रभारी की कर्तव्यनिष्ठता से मिली संगीतराव को जिंदगी


पिपरांव चौकी प्रभारी की कर्तव्यनिष्ठता से मिली संगीतराव को जिंदगी 7 साल से बिछुड़े बिछिप्त आंध्र प्र्रदेष ले जाकर परिजनों से मिलवाया मृत मान चुके परिजन हुए पुलकित,मध्य प्रदेष पुलिस की भूरि भूरि प्रषंसा





 



सीधी / मध्य प्रदेष पुलिस ने इंसानियत और कर्तव्यनिष्ठता की मिषाल पेष की है सात साल से बिछड़े बिकलांग बिछिप्त को परिजनों से मिलवाकर चेहरे मे मुष्कान पैदा की है बिछड़े परिजनों ने मध्य प्रदेष सरकार व मध्य प्रदेष पुलिस के प्रति आस्था प्रदर्षित कर किये गये कार्य की प्रषंसा की है। बता दें कि आध्र प्रदेष प्रांत के कृष्ण जिले के घण्टषाला थाना के लंकापल्ली गांव का युवक कुमटीसंगीत राव पिता बिरेष राव उम्र लगभग 45 साल बीते सात साल पूर्व मांसिक संतुलन खराव हो जाने के कारण घर से भाग गया था युवक पैर से भी विकलांग था गायव होने के बाद परिजन उसकी हर सम्भावित स्थानों मे खोजवीन की लेकिन कोई पता नही चला तो मृत मानकर शांत हो गये थे उधर पौढ़ अपनी ट्र्रायसिकिल से सफर करते हुए इधर उधर भटकते हुए मध्य प्रदेष के सीधी जिला के रामपुर नैकिन थाना के पिपरांव चैकी के गांवों मे भटक रहा था उसे कही आश्रय नही मिला  वह अमरकंटक रीवा मार्ग के कैमोर पहाड़ के छुहियाघाट को पार कर रीवा जाने का प्रयास कर रहा था लेकिन पहाड़ी की चढ़ाई को वह हांथ की पायडल वाली सायकल के सहारे पार नही कर पा रहा था कई दिनों से वह पहाड़ी मे पड़ा हुआ था बिछिप्त प्रौढ को बघवार मे संचालित अल्ट्राटेक सीमेन्ट कम्पनी के डायरेक्टर आने जाने के दौरान देखते थे लेकिन वे आमबात होना मानकर रोज निकल जाते थे 31 दिसम्बर को वे जव रीवा जा रहे थे तो उसे जंगल में देखकर हैरान हो गये उन्होने पिपरांव चैकी प्रभारी शेषमणि मिश्रा को पूरी बात बताई तो जिज्ञासा बस वे छुहिया घाट पहुंच गये जहां बिछिप्त युवक से पूंछताछ करने पर कुछ बता नही पा रहा था जो बोल भी रहा था वह तेलगू भाषा मे होने के कारण समझ नही पा रहे थे इंसान दिल चैकी प्रभारी श्रीमिश्र उसे चैकी ले आये जहां उसके भोजन पानी का इंतजाम कर उसके उपचार का इताजम कराया उपचार के दौरान हुई बात चीत में उसकी भाषा तेलगू मे होने की बात सामने आते ही आंध्र से आने वाले वाहन चालकों से बात कराई तो उसके जन्म स्थान का पता चला जिससे वहां की पुलिस से सम्पर्क किया तो पता चला की वह बिछिप्त था और गायव होने पर उसके परिजन थाना मे गुमसुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज नही कराया है। बिछिप्त प्रौढ़ की जानकारी सीधी के पुलिस अधीक्षक आर एस बेलबंसी को देकर मार्ग दर्षन लेने के बाद उसे पिपरांव पुलिस के दो आरक्षक सी 607 संजीव बसेड़िया आरक्षक सी 614 षिव कुमार जामले को बिछिप्त पौढ़ कुमटी संगीतराव को लेकर आंध्र प्रदेष भेजा दोनों आरक्षकों ने अपने कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते हुए आंध्र प्रदेष के घण्टषाला थाना पहुंचकर वहां के पुलिस की मदद से बिछिप्त के परिजनों से मुलाकात कर उसकी असलियत जाना और पौढ़ को उनके सुपुर्द किया उधर बिछिप्त के परिजन उसे पाकर न केवल गदगद होते हुए जहां दोनों आरक्षकों सहित मध्य प्रदेष पुलिस की भूरि-भूरि प्रषंसा की तो चैकी प्रभारी शेषमणि मिश्रा के इसनियत भरे प्रयास और पेष किये गये मिषाल की तारीफ कर पुलिस अधीक्षक की सराहना किये है।
पत्नी बच्चे मान चुके थे मृत सात साल पूर्व गांयव कुमटी संगीतराव को उसके परिजन मृत मान कर उसे भूलने लगे थे पुलिस के अनुसार कुमटीसंगीतराव की पत्नी बेबीदाता पुत्र सुब्रम्हणयम व पावनी के सहित माता पिता सहित भरा पूरा परिवार है लेकिन कुमटी पैर से जहां दिब्यांग था वही मांसिक रूप संे भी बिछिप्त था और अचानक से लापता हो गया था खोजने पर भी जव पता नही चला तो परिजन उसे भूलने लगे थे अव उसे पाकर गदगद हो गये है।


ऐसे मिली जानकारी


व्हीलचेयर से चढ़ रहा था पहाड़
बात बीते 12 दिनों पूर्व की है जब अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट के इंडस्ट्रियल मैनेजर लल्लन सिंह परिवार के साथ बघवार प्लांट से रीवा जा रहे थे। 12 किमी छुहिया पहाड़ी उतरने के बाद उनकी नजर विपरीत दिशा से आते हुए विकलांग व्यक्ति पर पड़ी। वह व्हील चेयर से छुहिया घाटी की मुश्किल भरी चढ़ाई पार करने की जद्दोजहद करते समय टूटी सड़क के बीच फंस गया था। यह सोचकर कि वह किसी आसपास
के गांव का होगा वे आगे बढ़ गए। रीवा से लौटने के दौरान रात 8/30 बजे जब वे पुन:छुहिया घाटी पर पहुंचे तो देखकर हैरान रह गए किए वह व्हील चेयर को धकेलने की कोशिश कर रहा थाऔर आगे बढऩे की कोशिश कर रहा है। सुबह से शाम तक 3 किमी की दूरी नाप चुका था। उस दिन मौसम का पारा 3 डिग्री के इर्द-गिर्द था। लल्लन से रहा नहीं गया। उन्होने गाड़ी खड़ी कर उससे बात करने की कोशिश की। मगर भाषाई अंतर होने से एक लफ्ज भी समझ में नहीं आया। लल्लन सिंह उसे कंबल देकर आगे बढ़े और बघवार चौकी प्रभारी शेषमणि मिश्रा व प्लांट के अधिकारी के ध्यान में लाया गया तो जानकारी होने पर चौकी प्रभारी शेषमणि मिश्रा ने पुलिस बल रवाना किया। वहीं प्लांट से पिकअप वाहन भी उसे
लेने पहुंच गया। चौकी प्रभारी ने बताया किए दिव्यांग
को तो चौकी ले आए हैं परए भाषा समझ में नहीं आ
रही। न ही उसके पास ऐसा कोई सामान मिला
जिससे शिनाख्त की जा सके। ऐसे में अल्ट्राटेक
सीमेंट प्लांट में कायज़्रत तेलुगूभाषी नरसीमल्लू की
मदद ली गई। जिसने दिव्यांग से बातचीत की। पता
चला कि उसका नाम कुमपटी संगीतराव है। वह
तेलंगाना के जिला कृष्णा थाना घंटशाला अंतगज़्त
लंकापल्ली का है। संगीतराव मानसिक रूप से
अस्वस्थ समझ में आया। जिसके चलते यह नहीं
बता सका कि वह यहां कैसे पहुंचा। उसके पांव में
गहरी चोट थी। जिस्म से भी दुगंज़्ध आ रही थी।
जिसके चलते उसका इलाज कराया गया। गमज़् कपड़े भी दिए गए। उपचार के बाद शुरू हुई खोज खवर जब संगीतराव की शारीरिक हालत सुधरी तो उसे उसके घर पहुंचाने की कवायद शुरू की गई। लेकिन मुश्किल थी कि वह पता जो वह बता नहीं पा रहा था। चौकी प्रभारी शेषमणि मिश्रा ने दो पुलिस के जवानों के साथ संगीतराव को लंकापल्ली के लिए रवाना किया। पुलिस उसे लेकर लंकापल्ली तो पहुंच
गई लेकिन परिजनों तक पहुंचना बिना पते के
चुनौती थी। उसे लेकर वहां की स्थानीय पुलिस
से मिला गया । इसी दौरान कुछ लोगों ने कृष्णा
को पहचान लिया और उसे उसके घर पहुंचाया
गया। 7 साल बाद संगीतराव को सकुशल
देखकर परिजनों पत्नी बेबीलताए पुत्र वीरेशए
सुब्रमण्यम व पुत्री पावनी की आंखों से खुशी के
आंसू छलक पड़े। पत्नी बेबीलता ने बताया कि
कुमपटी संगीतराव को कई साल तलाशा गया।
लेकिन उसका सुराग नहीं मिला। अब तो उसके
लौटने की आस भी छोड़ चुके थे। परिजनों के अनुसार संगीतराव मानसिक रूप से अस्वस्थ है। वह 7
साल पूवज़् घर से निकलाए फिर लौटकर नहीं आया।घर पहुंचने के बाद भी कुमपटी नहीं बता सका कि वह
तेलांगना से मप्र कैसे पहुंचा और व्हील चेयर से वह बघवार की ओर कहां जा रहा था।