रायपुर। कोरोना वायरस को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव स्वास्थ्य विभाग के लिए किस तरह परेशानियों का सबब बन रहा है, यह मंगलवार को नजर आया। नवा रायपुर स्थित मांझ गांव में कोरोना वायरस के संदिग्धों को रखने के लिए बने क्वारेंटिन सेंटर का ग्रामीण आधी रात को विरोध करने पहुंच गए। ग्रामीणों का कहना था कि इंजीनियरिंग प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान, सेक्टर-24 मांझ के आइसोलेशन सेंटर में कोरोना बीमारी के संदिग्ध करीब 35 से 40 लोगों को लाकर रखा गया। भवन में कार्यरत कर्मचारियों को छुट्टी दे दिया गया। वहीं बाहर से लोग पहुंच रहे हैं। परिसर को जिस तरह से अस्पताल बनाकर स्वास्थ्य विभाग कोरोना बीमारी के संदिग्धों को ला रहा है। इससे गांव के लोगों में भय का माहौल है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से आइसोलेशन सेंटर को और कहीं शिफ्ट करने की बात कही है। प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों के विरोध के बीच जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को कोरोना वायरस के संबंध में जानकारी देते हुए उन्हें जागरूक किया। उन्हें बताया कि कोरोना वायरस से छत्तीसगढ़ में कोई भी पीड़ित नहीं है। यहां के आइसोलेशन सेंटर में सुरक्षा के मद्देनजर ही लोगों को लाया जा रहा है। इससे किसी तरह का खतरा नहीं है। यह बात समझकर जिला पंचायत सदस्य माखन कुर्रे ने सभी ग्रामीणों को समझाइश दी तब मामला शांत हुआ।
कोरोना संदिग्ध लगभग 35 से 40 लोगों को झांझ के आइसोलेशन सेंटर लाया गया है। यह बीमारी ग्रामीणों में न फैल जाए, इसके लिए हम सेंटर को अन्य कहीं बनाने की मांग स्वास्थ्य विभाग से करेंगे। इसी के लिए हम एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं।
विकास टंडन, जनपद सदस्य, मांझ
कोरोना वायरस यहां न फैले इसके लिए हम विरोध कर रहे हैं। आम जैसा बता रहे हैं यहां किसी तरह का खतरा नहीं है। हमें इसकी जानकारी नहीं थी। ऐसा है तो हमें किसी तरह से दिक्कत नहीं है, लेकिन शासन-प्रशासन को इसे लेकर लोगों में जागरूकता लानी चाहिए, ताकि ऐसी स्थिति न बनें।
माखन कुर्रे, जिला पंचायत सदस्य, नवा रायपुर