छतरपुर के इंद्रविक्रम सिंह ने साधा सबसे सटीक निशाना निशानेबाजी प्रतियोगिता में सतना के सागर दूसरे और दिल्ली के दानिश अहमद रहे तीसरे स्थान पर
छतरपुर। बुंदेलखंड की विरासत को संरक्षित करने और इसकी कला संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आयोजित 24वें बुंदेली उत्सव के अंतर्गत शनिवार को निशानेबाजी की रोमांचक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें छतरपुर के अचूक निशानेबाजों ने सतना और दिल्ली के धुरंधरों को भी पीछे छोड़ दिया।
बसारी के गढ़ी तालाब में हुई निशानेबाजी प्रतियोगिता में छतरपुर के इंद्रविक्रम सिंह ने सबसे अचूक निशाना साधकर इस प्रतियोगिता को अपने नाम कर लिया। दूसरे स्थान पर सतना के सागर और तीसरे स्थान पर दिल्ली के दानिश खान रहे। इसके साथ ही इस वर्ष से बुंदेली उत्सव में बुंदेलखंड के भूले बिसरे खेल गुलेलबाजी को भी शामिल किया गया। इसमें कई प्रतिभागियों ने गुलेल से निशाने लगाए। गुलेलबाजी की प्रतियोगिता में रमेश कुशवाहा प्रथम और राजू रैकवार द्वितीय स्थान पर रहे। खिलाड़ियों एवं कलाकारों को बुंदेली विकास संस्थान के संरक्षक एवं पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह मुन्नाराजा, पूर्व मंडी अध्यक्ष डीलमणि सिंह बब्बूराजा, देवेंद्र प्रताप सिंह दिल्लू राजा, कांग्रेस के प्रदेश सचिव सिद्धार्थशंकर बुंदेला, पूर्व जनपद अध्यक्ष महिपाल सिंह बर्रोही ने पुरस्कृत किया। उधर बीती शाम बसारी के राव बहादुर सिंह स्टेडियम में लोक संस्कृति की रंगारंग प्रस्तुतियां हुईं, जिसमें बुंदेलखंड के कोने-कोने से आए कलाकारों ने ढिमरयाई, कार्तिक गीत, आल्हा, दलदल घोड़ी, लमटेरा, बिलवारी, सोहरे, रावला, कड़ारा, बेहरूपिया, गोंटे और अलगोजा में अपनी प्रस्तुतियां दीं। इन प्रस्तुतियों में सर्वाधिक ध्यान खींचा दीक्षा और प्रतीक्षा की आल्हा गायन प्रस्तुति ने। इन बेटियों ने आल्हा गायन में बुंदेलखंड के शौर्य को गाकर लोगों को स्वाभिमान की भावना से भर दिया। उनके अलावा महोबा से आए ब्रजेंद्र यादव एवं हरडोनी के प्रेमनारायण यादव ने भी आल्हा की प्रस्तुतियां दीं। ढिमरयाई में कर्रापुर के चुन्नीलाल, छतरपुर के मुन्नालाल सैनी, बसारी के कंदू लाल रैकवार एवं दमोह के चौधरी रामलाल काटिल व साथियों ने अपनी प्रस्तुति दी। कार्तिक गीत में संपत नामदेव और बमीठा की गोल्डी विश्वकर्मा ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। दलदल घोड़ी में बसारी के रमेश बाबा, लमटेरा में दमोह के चौधरी रामलाल काटिल, बसारी के कालीचरण अनुरागी व सपना रंगमंच ने धार्मिक आख्यान सुनाए। बिलवारी में सपना रंगमंच, डमरूलाल आदिवासी, बेबीराजा, मतीबाई एवं संजू सबनम कटनी की प्रस्ुतति लाजवाब रही तो वहीं सोहरे में संपत नामदेव ने खूब रंग जमाया। रावला में छतरपुर के राम सिंह राव, बहरूपिया की प्रस्तुति में बसारी के कंदूलाल रैकवार, गोंटे की प्रस्तुति में झांसी से अखिलेश पाल व अलगोजा में सुखलाल आदिवासी ने श्रोताओं को तालियां बटोरी।
अपनी संस्कृति पर गर्व करेंगे तभी इसका विस्तार होगाः राजा बुंदेला
बीती शाम आयोजित लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में फिल्म जगत के जाने-माने अभिनेता राजा बुंदेला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बुंदेली उत्सव पूर्व विधायक मुन्नाराजा के दृढ़ निश्चय का प्रतीक है। उन्होंने आप सबकी मदद से विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इसको 24 वर्षों तक जीवित रखा। श्री बुंदेला ने कहा कि बुंदेलखंड के पास धन संपदा, कृषि, नदियां, तालाब सब कुछ है। इसके बाद भी यह अभावग्रस्त क्यों है। उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि हम अपनी संस्कृति पर गर्व नहीं करते। पंजाबी और गुजराती अपनी संस्कृति को पूजते हैं और इसीलिए आज दुनियाभर में पंजाबियों और गुजरातियों का खान-पान, रहन-सहन और कला संस्कृति पहुंच चुकी है। हमारे पास भी एक मजबूत कला संपदा है। हमें भी इस तरह के आयोजन के माध्यम से अपनी कला संस्कृति पर गर्व करना चाहिए, तभी इसका विस्तार दुनियाभर में होगा। उन्होंने कहा कि हम झांसी की रानी, आल्हा ऊदल, हरदौल और महाराजा छत्रसाल के वंशज हैं। हमें जागना होगा तभी हम बुंदेलखंड का शौर्य दुनिया को बता पाएंगे। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों के द्वारा बुंदेली संस्कृति के क्षेत्र में डॉ. दयाराम वर्मा बैचेन श्यावरी मऊरानीपुर को राव बहादुर सिंह बुंदेला स्मृति सम्मान से नवाजा गया तो वहीं बुंदेली साहित्य में आलोचना के लिए डॉ. केबीएल पाण्डेय दतिया को राव बहादुर सिंह बुंदेला स्मृति सम्मान सौंपा गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. बहादुर सिंह परमार, जगदीश गंगेले, डॉ. विष्णु अरजरिया आदि ने किया।