कोरबा । रोजगार गारंटी योजना के एक लाख 30 हजार जॉब कार्डधारियों में केवल 746 ने ही पूरे 150 दिन कार्य किया। समय पर मस्टरोल नहीं बनाया जाता और इस वजह से भुगतान समय पर नहीं हो पाता। यही वजह है कि मनरेगा के प्रति मजदूरों की रुचि कम हो गई है। यही नहीं मनरेगा के जिला और ब्लॉक परियोजना अधिकारियों के बीच भी सामंजस्य नहीं है। पᆬील्ड में निरीक्षण नहीं किए जाने का खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा। 13000 मजदूरों का ढाई माह से 1.90 करोड़ भुगतान लंबित है, जिसमें अकेले पोड़ी-उपरोड़ा ब्लॉक के 2930 मजदूरों का 83 लाख का भुगतान बकाया है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 29623 काम के लिए 80 करोड़ का बजट मिला है, पर 12 करोड़ खर्च नहीं हो सके। रोजगार गारंटी योजना का अधिक से अधिक लाभ ग्रामीण मजदूर लें, इसके लिए प्रशासन स्तर पर पहल की जा रही है। इसके विपरीत मजदूरी भुगतान की प्रक्रिया में अपेक्षित सुधार नहीं आने के कारण ग्रामीण मजदूरों की रुचि कम दिखाई दे रही है। शहर से लगे गांव के मजदूरों की अपेक्षा दूरदराज वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण ही रोजगार गारंटी में काम कर रहे हैं। शहर से लगे गांव के मजदूर नकदी भुगतान के चलते शहर में दिहाड़ी मजदूरी कर गुजारा कर रहे हैं। भुगतान प्रक्रिया में सुधार की स्थिति आने से स्वीकृत राशि से बढ़कर काम होने की संभावना है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 56 करोड़ की लागत से 29 हजार 623 कार्यों की स्वीकृति दी गई थी। उक्त कार्यों में अब तक 42.13 करोड़ के खर्च से 24 हजार 903 काम ही पूर्ण हुए हैं। 2110 कार्य प्रगतिरत हैं, जबकि 2110 ऐसे काम हैं जो अब तक शुरू ही नहीं हो पाए हैं। एपᆬटीओ भुगतान सीधे मजदूरों के खाते में किया जा रहा है। जिन मजदूरों को पिछले कार्यों के एवज में अब तक भुगतान नहीं हुआ है उन्हें भुगतान कराने की जरूरत है। मजदूरों को भुगतान करने के लिए डाकघर से राशि रखने की सीमित क्षमता भी समस्या बनी हुई है। डाककर्मी चूंकि केंद्र शासन के कर्मचारी है, जिन पर स्थानीय प्रशासन का नियंत्रण नहीं है। समय पर मजूदरों को भुगतान नहीं होने पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
रोजगार गारंटी के चल रहे कार्यों में अधिकांश नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के तहत चल रहे गोठान निर्माण से जोड़ा गया है। परियोजना अधिकारियों में लापरवाही के कारण मजदूरी भुगातन में देरी हो रही है। गोठान निर्माण के लिए पूर्व में स्वीकृत 88 चिन्हांकित पंचायतों में से 20 का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। दूसरे किश्त में 120 पंचायतों को शामिल किया गया है। निर्माण सामग्री की राशि का भुगतान बिना टीन नंबर वाले बिल के कारण लंबित है।
मजदूरों की समस्या को सुनने और तत्परता से हल करने अधिकारियों के उपेक्षित रवैये से भी मजदूर रोजगार गारंटी से दूर हो रहे हैं। रोजगार गारंटी में समस्या निराकरण के लिए लोकपाल नियुक्ति का प्रावधान है। जिले में रोजगार गारंटी की शुरुआत लेकर अब तक स्थाई लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है। रोजगार सहायक की ओर से पᆬर्जी नाम हाजिरी और आहरण से जुड़े कोलिहामुड़ा, मुढ़ाली के मामले का अब तक निराकरण नहीं हुआ है।
29 हजार मजदूर कर रहे काम
कृषि कार्य पूर्ण होने के बादमजदूरों की तादाद में बढ़ोतरी होती है, किंतु इस वर्ष 340 स्थानों में चल रहे काम में 29023 मजदूर ही काम कर रहे हैं। बीते वर्ष 48 हजार मजदूर काम कर रहे थे। आंकड़े से स्पष्ट होता है कि बीते वर्ष की अपेक्षा मजदूरों की तादाद में कमी आई है। गौर करने वाली बात यह भी है कि पंजीकृत मजदूरों में 30 पᆬीसदी ऐसे मजदूर हैं, जिन्होंने पंजीयन के तीन साल के भीतर अब तक एक भी काम में भाग नहीं लिया है। इसके विपरीत जारी वित्तीय वर्ष में 7951 ऐसे जॉब कार्डधारी परिवार हैं जिन्होंने 100 दिन की मजदूरी की है।
0 वर्ष 2019-20 में स्वीकृत राशि- 80 करोड़
0 स्वीकृत कार्य- 29623
0 व्यय राशि- 68.12 करोड़
0 पूर्ण कार्यों की संख्या- 24903
0 प्रगतिरत कार्य- 2110
0 अप्रारंभ कार्य- 2901
रोजगार गारंटी योजना में ग्राम पंचायतों को मांग के आधार पर काम उपलब्ध कराया जाता है। काम मांगे जाने पर उपलब्ध नहीं कराने संबंिधत मामले जिले में कहीं नहीं है। काम करने वाले मजदूरों में कमी के संबंध में रिकॉर्ड देखने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा। जहां तक भुगतान की बात है तो एपᆬटीओ के आधार हो रहा है।
एस जयवर्धन, सीईओ, जिला पंचायत