कोरबा । आंगनबाड़ी केंद्रों में कहीं महीने तो कहीं साल भर से बंद पड़े 800 से भी अधिक वजन मापी यंत्रों का अब जाकर जिला कार्यालय में सुधार हो रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से गंभीर कुपोषण दर 2.5 पᆬीसदी होने का दावा किया जा रहा है। सुपोषण और कुपोषण का मापदंड बच्चों के साप्ताहिक और पाक्षिक तौल रिकॉर्ड के आधार पर होता है। बिगड़े कांटों के बावजदू कुपोषण दूर करने के दावे संदेह के दायरे में है। आंगनबाड़ी केंद्रों से जिस तरह पोषण आहार के लिए शासन की ओर खर्च किया जा रहा, उसकी जमीनी हकीकत परे नजर आ रही है। इसका अंदाजा महिला एवं बाल विकास विभाग में रखे बिगड़े तौल यंत्र के अंबार को देखकर लगाया जा सकता है। इन दिनों जिला कार्यालय में बिगड़े कांटों को सुधारने का काम चल रहा है। समय रहते वजन मापी यंत्र का सुधार नहीं कराए जाने के कारण वजन रजिस्टर में अनुमानित आंकड़े भरने का खेल चलता रहा है। जिले में 2248 आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन हो रहा है। अधिकांश केंद्रों में इलेक्ट्रॉनिक वजन मापी यंत्र प्रदान किए गए है। बच्चों के पोषण दर को बेहतर बनाए रखने में वजन मापी यंत्र का महत्वपूर्ण योगदान होता है। नवजात शिशु से लेकर आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों का आयु के आधार पर वजन रिकॉर्ड तैयार किया जाता है। वजन रिकॉर्ड के आधार पर ही कुपोषित और सुपोषित दर का पता चलता है।
खनिज मद से छह साल में 23 करोड़
पोषण स्तर को सुधारने के लिए खनिज मद से छह वर्ष के भीतर 23 करोड़ खर्च हो चुका है। इसमें कार्यशाला आयोजन से लेकर प्रचार-प्रसार भी शामिल है। नवा जतन और सुपोषण मित्र जैसे कार्य योजनाओं के नाम पर केवल बंदरबाट ही हुई है। बच्चों को प्रदाय की जाने वाली दूध और शुष्क पोषण भी शासन स्तर पर करोड़ों खर्च किया जाता है। इसके बावजूद भी पोषण पुनर्वास में बच्चों को लाकर पोषण आहार देने का दोहरा काम किया जा रहा है। पोषण पुनर्वास कोरबा में इन दिनों 16 बच्चों का इलाज चल रहा है।
नौ परियोजनाओं में संचालित 2248 आंगनबाड़ी केंद्र में से 1836 में इलेक्ट्रॉनिक तौल यंत्र दिया गया है। बिगड़े यंत्र के सुधार के लिए केवल एक केंद्र बनाया गया है। यानी किसी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को अपने केंद्र का तौल यंत्र सुधरवाना हो तो उन्हें जिला कार्यालय आना होगा। एकमात्र केंद्र संचालित किए जाने से पोड़ी-उपरोड़ा और पाली जैसे दूरदराज ब्लॉक के कार्यकर्ता सुधार के लिए तौबा कर रहे हैं। आने-जाने के लिए किराए का कोई प्रावधान नहीं है।
0 संचालित आंगनबाड़ी केंद्र- 2248
0 केंद्रों में उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक यंत्र- 1836
0 केंद्रों में दर्ज बच्चों की संख्या- 2,16,245
0 कुपोषित बच्चों की संख्या- 22616
0 गंभीर कुपोषित- 5406
आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का सही तौल हो इसके लिए बिगड़े वजन यंत्रों का सुधार किया जा रहा है। जिले में गंभीर कुपोषण दर 2.5 पᆬीसदी शेष है। सुपोषण स्तर को बेहतर करने के लिए शासन की योजनाओं की सतत मॉनिटरिंग की जा रही है।
आनंद प्रकाश किसपोट्टा, डीपीओ, महिला एवं बाल विकास