कोरबा । पांच डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री का यह दूसरा वित्तीय वर्ष है। दस्तावेज में इजापᆬा होने से रजिस्ट्रार दफ्तर के राजस्व आय में जबर्दस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के 11 माह के भीतर दफ्तर ने 24 करोड़ 50 लाख 96 हजार 698 रुपये राजस्व आय अर्जित किया है। बीते वर्ष की अपेक्षा यह चार करोड़ अधिक है। रजिस्ट्रार दफ्तर को जारी वित्तीय वर्ष में 36 करोड़ आय अर्जित किए जाने का लक्ष्य मिला है। भले ही बीते वर्ष से अधिक आय हुई है, किंतु लक्ष्य पूरा किया जाना असंभव नजर आ रहा है। रजिस्ट्रार दफ्तर से प्राप्त आय शासन के लिए भूमि सुधार के लिए सहयोगी रहती है। आय की बेहतरी के लिए शासन की ओर से राजस्व संबंधित नियमों में पᆬेरबदल किया गया है। पांच डिसमिल से कम जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक हटने से राजस्व आय में लगातार इजापᆬा देखा जा रहा है। बीते दो वित्तीय वर्ष के भीतर जिला रजिस्ट्रार दफ्तर ने 10 करोड़ से भी अधिक आय में बढ़ोतरी हासिल की है। इससे पहले आय में वृद्धि तभी होती थी, जब बड़े लीज के खदान की रजिस्ट्री होती। आय में इजापᆬा होने के पीछे दस्तावेजों में बढ़ोतरी है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में पंजीकृत दस्तावेजों की बात करें तो 11 माह के भीतर 3236 दस्तावेजों का पंजीयन हुआ है। जारी वित्तीय वर्ष में 1018 दस्तावेज बढ़े हैं, यानी अब तक 4254 दस्तावेजों का पंजीयन हो चुका है। वित्तीय वर्ष में भले ही लक्ष्य पूरा न किया जा सके, किंतु दस्तावेज पंजीयन में बढ़ोतरी के आंकड़े से आय में वृद्धि सुनिश्चित मानी जा रही है।
ऑन स्पॉट विजिट का असर
जमीन की बिक्री के मामले में शासन ने ऑन स्पॉट विजिट अनिवार्य कर दिया है। रजिस्ट्रार दफ्तर के अधिकारियों के निरीक्षण के बाद ही रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी की जा रही है। खासकर रहवासी क्षेत्र के जमीन के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। आवास बिक्री करते स्टाम्प ड्यूटी की राशि बचाने के लिए के्रता-विक्रेता आपसी सहमति से जमीन दर्शा देते थे। इससे शासन को राजस्व आय की बजाय घाटा होता था। अब जबकि विजिट अनिवार्य कर दिया गया है, जिसका असर आय में हुआ है।
कॉलोनाइजर एक्ट में कसावट
कॉलोनाइजर एक्ट में कसावट किए जाने का भी असर आय पर पड़ा है। पहले प्लॉट काटकर जमीन बेचने वाले भूमि का बंटवारा तो करते थे, लेकिन कॉलोनी तक पहुंचने के लिए रास्ते का पता नहीं होता था। ऐसे में मामले में कोर्ट में ही उलझे रहते थे। पांच डिसमिल से कम जमीन बिक्री को हरी झंडी मिलने के बाद रजिस्ट्रार दफ्तर ने कॉलोनाइजर एक्ट पालन को सख्त कर दिया है। ऐसे में बड़ी जमीन को टुकड़ों में काटकर बांटने के मामले में उलझन नहीं होने से रजिस्ट्री में भी आसानी हो रही है।